बर्न यूनिट को तीन साल में भी नहीं मिले बर्न और प्लास्टिक सर्जन

बलंदशहर। जिला अस्पताल का बर्न वार्ड डाक्टरों की कमी से जा रहा है। यहां आने वाले मरीजों को प्राथमिक उपचार देकर रेफर कर दिया जाता है करीब तीन साल पूर्व 2016 में जिला अस्पताल में लाखों रुपये खर्च कर बने यूनिट की स्थापना की गई थी। लेकिन आज तक बर्न यूनिट को न तो प्लास्टिक सर्जन मिला और न ही बर्न सर्जन । नतीजन बर्न यूनिट में इलाज की उम्मीद से आने वाले मरीजों को प्राथमिक उपचार देकर रेफर कर दिया जाता है। झुलसे मरीज को लेकर तीमारदारों को अलीगढ़, मेरठ या नोएडा की दौड़ लगानी पड़ती है गमी का शुरुआत से अब तक चार मरीज बन यूनिट में इलाज के लिए पहुंचे हैं। सीएमओ डा. केएन तिवारी का कहना है कि सरकार के पास बर्न व प्लास्टिक सर्जन गिनती के हैं, कई बार पत्र भेज चके हैं। दोनों सर्जन की तैनाती के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा। आग से झलसने के बाद मरीज को संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है। इनको अलग वार्ड में रखा जाता है। बर्न वार्ड वातानुकूलित होने के साथ ही हर मरीज के लिए मच्छरदानी का प्रबंधन होना चाहिए। हर मरीज के लिए अलग सेल बनाकर उसे रखा जाना चाहिए। सामान्य रोगियों के लिए अलग से ड्रेसिग रूम भी होना चाहिए जिला अस्पताल में आग से जले लोगों के इलाज के नाम पर केवल एंटी बायोटिक, एसओएस क्रीम और दर्द की गोलियां दी जाती है। मरीजों को बर्न स्क्रेडेल भी उपलब्ध नहीं होते हैं। वहीं बर्न यूनिट में जले मरीजों के लिए कई आधुनिक चिकित्सीय उपचार होते हैं। खासकर ऐसे मरीज के जले अंग कुरूप हो जाते हैंइन अंगों की सर्जरी होनी चाहिए। लेकिन यहां इंजेक्शन व मरहम लगाकर टरका दिया जाता है।